बेधड़क ...बेलाग....बेबाक

बडी ख़बर – सुशासन में अबतक का सबसे बड़ा घोटाला, FIR दर्ज एसआईटी गठित, सृजन सचिव प्रिया कुमार ने क्या कहा ? सृजन के 10 खाते सील

352

पटना Live डेस्क। सूबे में सुशासन बाबु की सरकार है। पारदर्शिता और नैतिकता का बोलबाला है लेकिन भागलपुर में भूअर्जन विभाग द्वारा किसी की ज़मीन किसी और को भुगतान कर करोडो करोड़ के वारे न्यारे कर लिया गया। यह पूरा खेल लंबे दौर से जारी था पर किसी लेकिन उच्चाधिकारी को इसकी भनक तक नही लगी ये कैसे संभव है?यह एक बड़ा सवाल है? मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार की देर शाम मामले को लेकर पहली एफआईआर दर्ज कराई गई है।

                                                  मामले का खुलासा तब हुआ जब डीएम के फर्जी हस्ताक्षर से निकाले गए 10.26 करोड़ को लेकर जब मामला बढ़ा तो मामले में पहला एफआईआर सोमवार को ही भागलपुर के तिलका- मांझी थाने में इंडियन बैंक की पटलबाबू रोड शाखा और सबौर स्थित सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के खिलाफ जिलाधिकारी आदेश तितरमारे ने प्राथमिकी दर्ज कराई। इसके बाद एसआईटी का गठन कर दिया गया और इस बाबत कहा जा रहा है कि सरकारी पैसे की फर्जी निकासी हुई है।

न बैंक ने सूचना दी और न ही ऑडिट में ही कुछ सामने आया

वही मामले के बाबत जिला प्रशासन द्वारा थाने को दिये आवेदन में लिखा गया है कि जालसाजीपूर्ण षड्यंत्र द्वारा अनधिकृत रूप से सरकारी राशि के हस्तांतरण की सूचना न तो बैंक द्वारा जिला प्रशासन को दी गयी और न ही मार्च 2015 में महालेखाकार द्वारा किये गये ऑडिट में ही किसी प्रकार की प्रतिकूल टिप्पणी की गयी। इससे जाहिर होता है कि बैंक द्वारा जिला प्रशासन को अंधेरे में रखते हुए मांगे जाने पर जाली खाता विवरणी उपलब्ध करायी गयी। ऐसा देखते हुए इंडियन बैंक के तत्कालीन और वर्तमान शाखा प्रबंधक और सृजन महिला सहयोग समिति लिमिटेड के सभी पदधारकों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने को कहा गया।

एसआइटी गठित, बैंक खाते सील

सरकारी पैसे के गबन के मामले की जांच के लिए एसएसपी मनोज कुमार ने सिटी डीएसपी शहरयार अख्तर के नेतृत्व में एसआइटी का गठन किया है। टीम में उनके अलावा इशाकचक थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर रामएकवाल यादव ,जगदीशपुर थानाध्यक्ष नीरज तिवारी, सबौर थानाध्यक्ष राजीव कुमार और एसआइ कौशल भारती शामिल हैं। सृजन के विभिन्न बैंकों के 10 खातों को सील कर दिया गया है।

 डीएम के फ़र्ज़ी सिग्नेचर से निकाली गई राशि?

फ़र्ज़ी निकासी के आरोप के तहत सृजन महिला विकास सहयोग समिति के सभी पदधारकों के ख़िलाफ़ FIR होने के बाद हड़कंप मच गया है।

समिति सचिव प्रिया कुमार ने क्या कहा ?

प्रिया कुमार के अनुसार यह सब नज़ारत का घोटाला है। समिति पर जान बूझकर थोपा जा रहा है। एफआईआर की कापी मिलने के बाद विस्तार से जानकारी देंगी।
प्रिया कुमार ने बताया की रखी बाँधने के लिए वह राँची गयी थी, इसी बीच FIR दर्ज होने की जानकारी मिली है, समिति पर क्या आरोप लगाया गया है इसकी जानकारी उनके पास नही है। उन्होंने बताया की समिति पर सारे आरोप निराधार है। फ़रवरी 2017 में उन्होंने पदभार सम्भाला था। जानकारी के अनुसार घटना इससे पहले की बतायी जा रही है।

महिलाओं को रोज़गार देने के लिए संचालित होता है।

यहा सरकारी विभाग की राशि जमा नही होती है, समिति द्वारा प्रशसन के खाते में राशि ट्रासफर।के सवाल पर सचिव ने कहा की उन्हें इस बात की जानकारी नही है।

जाँच के दौरान मिली डीएम के फ़र्ज़ी साइन वाले चेक-डीडीसी

भागलपुर डीडीसी अमित कुमार ने कहा की बैंक और सृजन महिला विकास सहयोग समिति की मिलीभगत से सरकारी राशि का ग़बन हुआ है। जाँच में इसका ख़ुलासा हुआ है। डीएम के फ़र्ज़ी हस्ताक्षर से चेक निर्गत किया गया और राशि ट्रांसफर किया गया है।

जांच में शुरू तो उड़े होश

समिति के फिल्ड ऑफिसर उमेश सिंह से जब कार्यालय के कर्मचारियों के बारे पूछा गया तो उसने बताया कि समिति के सीए नवीन कुमार सिंह की मौत हो चुकी है और महिला सृजन की प्रबंधक सरीता झा रक्षा बंधन को लेकर अपने भाई के घर गयी हैं। मौके से नदारद रहे कर्मचारी और अधिकारी छापेमारी के दौरान महिला सृजन के सभी बड़े अधिकारी मौके से गायब मिले। सृजन की अध्यक्ष शुभलक्ष्मी प्रसाद, सचिव रजनी प्रिया, प्रबंधक सरीता झा के साथ कई अन्य अधिकारी कार्यालय नहीं पहुंचे थे। सिटी डीएसपी ने कर्मचारियों और अधिकारियों के गायब होने की बात पर कहा कि उन्हें भी आश्चर्य लग रहा है कि आधे से भी अधिक लोग छुट्टी पर कैसे हैं।

फंस सकते हैं कई बड़े अधिकारी

वही दूसरी तरफ घोटाले को लेकर इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि घोटाले की जांच में कई बड़े अधिकारी फंसेंगे,जो पहले यहां तैनात रहे हैं। प्रारंभिक सबूत इस बाते के मिल रहे हैं कि इन अधिकारियों की कृपा विशेष रूप से सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड पर थी। सरकारी पैसे को ख़ास कारणों से यहां जमा कराया जाता था। कोआपरेटिव बैंक के रूप में इसकी शुरुआत बहुत पहले मनोरमा देवी ने की थी, बाद में निधन के बाद अब इसे ए. कुमार संभाल रहे हैं। यहा पैसा जमा कराने का मुख्य उद्देश्य मनमर्जी और ब्याज के पैसों का निजी लाभ प्राप्त करना बताया जा रहा है।

Comments are closed.